भारत-रूस संबंधों पर चीन का समर्थन, त्रिपक्षीय साझेदारी को वैश्विक स्थिरता का आधार बताया

Tue 09-Dec-2025,01:01 AM IST +05:30

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भारत-रूस संबंधों पर चीन का समर्थन, त्रिपक्षीय साझेदारी को वैश्विक स्थिरता का आधार बताया
  • चीन ने भारत-रूस-चीन त्रिपक्षीय संबंधों को ग्लोबल साउथ की स्थिरता, सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत करने वाला प्रमुख सहयोग मॉडल बताया।

  • पुतिन की भारत यात्रा पर चीन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और व्यापार, रणनीतिक संवाद और ऊर्जा सहयोग को क्षेत्रीय शांति के लिए अहम बताया।

  • 2020 के लद्दाख गतिरोध के बाद चीन ने भारत के साथ संबंधों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टि से संभालने का संकेत दिया, सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई।

Delhi / Delhi :

दिल्ली/ चीन ने रूस और भारत के त्रिपक्षीय समीकरण को वैश्विक स्थिरता और ग्लोबल साउथ की मजबूती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा को सकारात्मक संकेत करार दिया है। बीजिंग ने साफ कहा है कि तीनों देश चीन, रूस और भारत उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं तथा वैश्विक दक्षिण की केंद्रीय शक्ति हैं। ऐसे में इनके बीच सौहार्दपूर्ण और सहयोगपरक संबंध न केवल इनकी आर्थिक प्रगति के लिए लाभकारी हैं, बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा और विकास के लिए भी समान रूप से आवश्यक हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बीजिंग, मॉस्को और नई दिल्ली के बीच स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध “क्षेत्रीय भू-राजनीतिक संतुलन” को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि तीनों देशों के बीच आपसी समझ और रणनीतिक विश्वास बढ़ना मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में और भी ज्यादा जरूरी है, खासकर तब जब वैश्विक स्तर पर संघर्ष, अस्थिरता और आर्थिक दबाव का दौर जारी है।

भारत-चीन संबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गुओ ने स्पष्ट कहा कि बीजिंग दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए भारत के साथ स्थिर, संतुलित और परस्पर सम्मान पर आधारित संबंध बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि 2020 के पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संवाद लगातार बढ़ रहा है और अब संबंधों को “रणनीतिक ऊंचाई” से देखने की आवश्यकता है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को वास्तविक लाभ मिले और एशिया में स्थिरता को मजबूती मिले।

उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ मिलकर ऐसे संबंध विकसित करना चाहता है जो न केवल द्विपक्षीय स्तर पर फायदेमंद हों, बल्कि एशिया और वैश्विक दक्षिण की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान दें। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि बीजिंग इस बात से सहमत है कि किसी भी मुद्दे का समाधान संवाद और पारस्परिक समझ के जरिए ही संभव है।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन की 4-5 दिसंबर को नई दिल्ली यात्रा पर चीन की बारीक नजर थी। यात्रा से ठीक पहले पुतिन ने एक भारतीय समाचार चैनल से बातचीत में कहा था कि भारत और चीन, दोनों रूस के बहुत करीबी मित्र हैं और मॉस्को इन रिश्तों को अत्यधिक महत्व देता है। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत और चीन किसी भी आपसी विवाद को स्वयं सुलझाने में सक्षम हैं और रूस इन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। पुतिन की इन टिप्पणियों को चीन के सरकारी मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया।

चीनी सरकारी एजेंसी शिन्हुआ ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीद पर पश्चिमी आरोपों को लेकर पुतिन के पक्ष का भी विस्तार से उल्लेख किया। यह उल्लेखनीय है कि चीन स्वयं रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा आयातक देश है और उसने यूक्रेन युद्ध के बाद भी अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए रूसी तेल और गैस की खरीद जारी रखी है।

भारत और रूस के बीच पुतिन की यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया। ऊर्जा, विज्ञान, तकनीक, रक्षा और निवेश सहयोग को बढ़ाने को लेकर भी कई चरणबद्ध कार्यक्रमों पर सहमति बनी।

कुल मिलाकर, चीन का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि बीजिंग बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भारत और रूस से अपने रिश्तों को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि चीन त्रिपक्षीय सहयोग को ग्लोबल साउथ की नई शक्ति-संरचना के रूप में देख रहा है।